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मंगल ग्रह पर दल भेजेगा नासा


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अंतरिक्षयात्री यान में ही अपनी फल और सब्ज़ियॉ उगा पाएंगे

अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी संस्थान नासा ने अगले कुछ दशकों में मंगल ग्रह पर एक मानव दल भेजने की रणनीति का विस्तृत विस्तृत ब्यौरा जारी किया है.

नासा इस दल को करीब 30 महीनों के लिए चार लाख किलोग्राम के अंतरिक्षयान में मंगल ग्रह पर भेजने के लिए विचार कर रही है.

जनवरी, 2004 में राष्ट्रपति जार्ज बुश ने 2020 तक मानव के चंद्रमा पर जाने और अनिश्चित तिथि तक मंगल ग्रह पर जाने के कार्यक्रम के बारे में एक कार्यक्रम की घोषणा की थी.

यह मंगल यान पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित किया जाएगा. इसमें नए “हैवी लिफ़्ट लांच व्हीकल” का भी प्रयोग किया जाएगा जिन्हें नासा विकसित कर रहा है.

ये विहाकल तीन से चार वर्ग मीटर क्षेत्र के रॉकेट होते हैं.

योजना है कि फ़रवरी, 2031 में इसका प्रक्षेपण होगा. मिशन की यह यात्रा उन्नत क्रायोजेनिक ईंधन व्यवस्था से चालित अंतरिक्षयान में छह से सात महीने का समय लेगी.

एक अंदाज़ के अनुसार मंगल ग्रह पर मानव भेजने के इस मिशन पर क़रीब 450 लाख डॉलर का ख़र्च आएगा.

हालाँकि वहाँ रहने की व्यवस्था के लिए ज़रूरी दूसरा सामान दल के रवाना होने से पहले ही अलग से दिसंबर, 2028 और जनवरी, 2029 के बीच भेज दिया जाएगा.

उगाओ और खाओ

नासा की इस प्रस्तुति को बीबीसी ने देखा है. इसमें अंतरिक्षयात्री रास्ते में ही फल और सब्ज़ियाँ उगा पाएंगे.

वहाँ पहुँच कर मंगल ग्रह की ज़मीन पर अंतरिक्षयात्री 16 महीने तक गुज़ार सकते हैं. वे अपने आवास को बिजली देने के लिए नाभिकीय ऊर्जा का प्रयोग करेंगे.

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अंतरिक्षयान को पृथ्वी की कक्षा में ही विकसित किया जाएगा

लेकिन कागज़ात संकेत देते हैं कि मिशन को समाप्त करने या मानव दल को नए सामान से सुसज्जित करने के विकल्प कम ही होंगे.

सामान की दोबारा आपूर्ति में समस्या आएगी और अंतरिक्षयात्रियों को असाधारण रूप से आत्मनिर्भर होना होगा.

उन्हें उपकरणों की देखरेख और मरम्मत की पूरी जानकारी और यहाँ तक कि नए पुर्ज़े बनाना भी आना चाहिए.

हवा और पानी

अंतरिक्षयान ख़ुद भी जीवन रक्षक प्रणाली से सुसज्जित होगा जिसमें हवा और पानी का फिर से इस्तेमाल किया जा सकेगा.

मानव दल के भोजन के लिए यान पर ही पौधे उगाए जाएंगे. इससे अंतरिक्षयात्रियों के मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य का भी ख़याल रखा जा सकेगा.

लेकिन एजेंसी की रोबॉटिक्स एंड ह्यूमन लूनर एक्सपीडिशंस स्ट्रेटेजिक रोडमैप कमेटी में बैठने वाले नासा के एक अधिकारी ब्रेट ड्रेक की रिपोर्ट कहती है कि अभी इस दल की सुरक्षित यात्रा के लिए बहुत सी चुनौतियाँ बाकी हैं.



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