साल 2012 में फ्रेंच मैगजीन शार्ली एब्दो ने जो कार्टून छापे थे, वे कार्टून एक बार फिर देखे और शेयर किए जा रहे हैं। तीन आतंकवादियों ने उन कार्टूनों के विरोध में बुधवार को मैगजीन के ऑफिस पर हमला करके एडिटर समेत 12 लोगों को मौत के घाट उतार दिया, मगर इस कदम की वजह से ये कार्टून करोड़ों लोगों तक पहुंच गए है। साल 2012 में फ्रांस या बाकी दुनिया में कुछ ही लोगों ने कार्टून देखे होंगे, मगर आज सोशल मीडिया पर शार्ली एब्दो के कार्टून छाए हुए हैं।
मेरा परिवार फ्रेंच है। मेरा परिवार मुस्लिम है। मैं पत्रकार हूं। हम दुख में हैं।
मैं मुस्लिम हूं और मेरा मानना है कि अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब है- इस्लाम समेत हर धर्म पर व्यंग्य करना।
पेन अभिव्यक्ति का औजार है, युद्ध का नहीं।
हिंसा से नफरत और हिंसा पैदा होती है। विचारों को विचारों से चुनौती दीजिए, गोलियों से नहीं। आप लोगों के विचारों को नहीं मार सकते।
शब्द नहीं मिल रहे, यह प्रेस पर किया गया क्रूर हमला है। सभी अखबारों को कल शार्ली एब्दो के कार्टून छापने चाहिए।
इस्लामिस्ट्स से डरिए मत। शार्ली एब्दो के विक्टिम्स को श्रद्धांजलि देने के लिए और अभिव्यक्ति की आजादी के लिए कार्टूनों को फिर से पब्लिश कीजिए।
Leave a comment